लेखनी प्रतियोगिता -12-Mar-2023 संतान से प्रेम
शादी के दस वर्ष बाद भी सुरेंद्र और आरती जब मां-बाप नहीं बनते हैं, तो सुरेंद्र के माता-पिता सुरेंद्र के पीछे दूसरी शादी करवाने के लिए लग जाते हैं।
लेकिन ईश्वर की कृपा से आरती एक बेटी को जन्म देती है। लेकिन सुरेंद्र के माता पिता सुरेंद्र और आरती के जीवन में और ज्यादा अशांति फैला देते हैं, क्योंकि एक तो बेटी को जन्म दिया था, दूसरा शारीरिक कमजोरी की वजह से आरती दोबारा मां नहीं बन सकती थी।
बेटी के जन्म की खुशी में जब सुरेंद्र बेटी के नामकरण की दावत देता है, तो सुरेंद्र के माता-पिता कहते हैं कि "हमारे बेटे को अपना वंश चलाने की तो चिंता नहीं है, ऊपर से लड़की के नामकरण में इतने सारे पैसे बर्बाद कर रहा है।" सुरेंद्र आरती अपनी बेटी का नाम पार्वती रखते हैं।
अब माता-पिता के साथ गांव की दूसरे लोग भी सुरेंदर को सलाह देने लगे थे कि "सुरेंद्र एक बेटा तो होना चाहिए। बुढ़ापे के सहारे के लिए। इसलिए तू दूसरी शादी कर ले।" सुरेंद्र सब की एक ही बात बार-बार सुन कर तंग आ चुका था।
लेकिन किसी की परवाह किए बिना सुरेंद्र अपनी बेटी को काबिल बनाने की ठान लेता है। अपनी बेटी का दाखिला गांव से थोड़ा दूर एक अच्छे विद्यालय में करा देता है। और रोज सुबह अपनी बेटी को विद्यालय छोड़ने जाता था और विद्यालय की छुट्टी होने पर लेने जाता था।
उसका अपनी बेटी से इतना प्यार देखकर गांव के कुछ लोग उसकी मजाक उड़ाते थे, और कुछ लोग उस पर तरस खाकर कहते थे कि "लड़की तो पराया धन होती है। सुरेंद्र क्यों इतनी तकलीफ उठा रहा है।"
पार्वती जब आठवीं कक्षा पास कर लेती है, तो सुरेंद्र की मां सुरेंद्र से कहती है कि "आज तक तुने अपने मन कि की है। हमारे लिए ही नहीं अपनी बेटी के भविष्य के लिए ही इसे कुछ घरेलू काम का सिखा दें।" मां की इस बात को सुरेंद्र टाल नहीं पाता है।
और सुरेंद्र के कहने से आरती अपनी बेटी पार्वती को घरेलू काम सिखाना शुरू कर देती है। पार्वती का खाना बनाने का शौक देखकर सुरेंद्र बहुत खुश हो जाता है। और उसी दिन अपने मन में विचार कर लेता है कि पार्वती को दुनिया की सबसे बड़ी सेफ बनाऊंगा।
और सुरेंद्र पढ़ाई के साथ-साथ अपनी बेटी पार्वती को गांव के पास वाले कस्बे में खाना बनाना सीखने के प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला दिला देता है। सुरेंद्र जब अपनी बेटी को खाना बनाना सीखने के प्रशिक्षण केंद्र में दाखिला दिला देता है, तो गांव वालों को और उसके माता-पिता को सुरेंद्र का यह काम कुछ अटपटा तो लगता है, लेकिन सुरेंद्र की इस योजना का कोई भी खुलकर विरोध नहीं कर पाता है।
घर का खर्चा बढ़ने के बाद उसे पूरा करने के लिए सुरेंद्र खेती करने के साथ-साथ मजदूरी भी करने लगता है। और गांव के पास वाले कस्बे मे खाना बनाना के प्रशिक्षण केंद्र तक आने-जाने के लिए अपनी बेटी पार्वती के लिए एक रिक्शा लगवा देता है।
और एक दिन सुरेंद्र की बेटी की वजह से पूरे गांव का नहीं पूरे देश का मान सम्मान बढ़ जाता है। जब भारत के राष्ट्रपति भवन की दावत में दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति पार्वती के खाने की तारीफ करता है।
और एक दिन जब पार्वती दुनिया की सबसे बड़ी सेफ बन जाती है, तो सुरेंद्र अपने माता पिता और गांव वालों से कहता हैं कि "बेटी किस बात में बेटे से कम है। अगर कोई बता सकता है तो मुझे बताएं।"
Varsha_Upadhyay
18-Mar-2023 08:09 PM
शानदार
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Sushi saxena
14-Mar-2023 08:12 PM
Nice
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sunanda
14-Mar-2023 04:55 PM
nice
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